हमारे पापा को न तो दिन को चैन रहता है और न ही रात को। जब देखों बस काम ही काम। खाना खाने घर आते हैं तो फोन आ जाता है, रात को घर में रहते हैं तो फोन आ जाता। न जाने कितने फोन आते रहते हैं और पापा है कि बस बात करते रहते हैं। पापा पूछने पर कहते हैं कि क्या करें बेटा प्रेस का काम ही ऐसा है, न जाने कब किस खबर के लिए भागना पड़े। अब इतने लोगों से खबरों को लेकर जहां रिश्ता है, वहीं दोस्त भी बहुत हैं, ऐसे में बातें तो होंगी। एक तरफ पापा फोन में बात करते हैं तो दूसरी तरफ घर में भी या तो प्रेस का काम करते हैं, या फिर अपनी पत्रिका और ब्लाग
खेलगढ़ का काम या फिर
राजतंत्र में कुछ लिखने का काम। जब समय मिल जाता है तो हमारे ब्लाग के लिए कुछ लिखवा लेते हैं। कल रात को जैसे ही पापा घर के सामने अपने मोबाइल पर किसी से बात कर रहे थे तो अपने सोनू बाबा ने जाकर खींच दी पापा की फोटो। सोनू वैसे भी फोटो खींचने की दीवाना है।