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Saturday, July 3, 2010

पापा ने पहली बार काटा केट






मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का एक जुलाई को जन्मदिन था। मेरे पापा कभी जन्मदिन नहीं मनाते हैं। लेकिन इस बार हमने यानी मैं, मेरी मम्मी अनिता ग्वालानी और मेरे भाई सागर ग्वालानी ने तय किया कि पापा से केट कटवाएंगे। उनको बताए बिना केट बनवा लिया और घर की सजावट करके उनसे रात में केट कटवाया। पापा को यह बहुत अच्छा लगा।

Thursday, July 1, 2010

आज मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का जन्म दिन है


आज मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का जन्म दिन है। मैंने जहां सुबह उठते साथ उनको बधाई दी, वहीं मैंने तो उनको दो दिन पहले ही गिफ्ट दे दिया था। क्या करती गिफ्ट लाने के बाद रहा नहीं गया तो मैंने ऐसा किया। आप भी चाहें तो मेरे पापा को जन्म दिन की बधाई दे सकते हैं।

Sunday, December 13, 2009

रानी तू तो बिलकुल पास दिख रही है



सोनू बाबा ने पापा राजकुमार ग्वालानी से कहकर एक दूरबीन मंगवाई है। इस दूरबीन के आते ही वह दिन भर इससे खेलता रहा और कभी मुझे तो कभी मम्मी को दूर जाकर देखता रहा और बोलता रहा कि रानी तू तो बिलकुल पास दिख रही है। सोनू छत पर भी चला गया और दूरबीन से दूर की चीजों को देखते रहा। सुबह से शाम तक यह सिलसिला चला और अंत में रात तक दूरबीन सोनू से दूर हो गई। कारण इसको उसने एक दिन में ही तोड़ दिया।

Sunday, December 6, 2009

भिलाई में ब्लागरों की चिंतन बैठक

एक तरफ जहां मुंबई में ब्लागरों का सम्मेलन चल रहा है, वहीं भिलाई में भी ब्लागरों की एक चिंतन बैठक आज होने वाली है। इस बैठक में हमारे पापा राजकुमार ग्वालानी हमारे ललित शर्मा अंकल के साथ भिलाई गए हैं। पापा से मैंने कहा कि पापा आज मेरी छूटी है, मुझे भी ले चले, पर पापा ने मना कर दिया कि बेटा यह बड़े ब्लागरों की चिंतन बैठक है, आप जाकर क्या करेंगी। पापा ने कहा कि अब जब कभी कोई ब्लागर सम्मेलन होगा जिसमें कोई चिंतन बैठक नहीं होगी तो आपको ले चलेंगे। क्या कोई बैठक बिना चिंतन के भी होती है। देखें कब होगा ऐसा सम्मेलन जिसमें पापा मुझे भी ले जाएंगे। नहीं तो मैं सोच रहीं हूं कि क्यों न मेरे जैसे छोटे ब्लागरों का ही एक सम्मेलन करवा लिया जाए, क्या ख्याल है मित्रों।

Wednesday, July 1, 2009

हैप्पी बर्थ डे पापा


आज मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का बर्थ डे है। मैंने तो अपनी मम्मी अनिता ग्वालानी और छोटे भाई सागर राज ग्वालानी के साथ पापा को सुबह- सुबह ही बधाई दे दी है। अगर आप भी मेरे पापा को बधाई देना चाहते हैं तो उनके ब्लाग राजतंत्र
या फिर खेलगढ़ में जाकर बधाई दे सकते हैं। वैसे आप अगर मेरे ब्लाग में भी बधाई देंगे तो बधाई उन तक पहुंचाने का जिम्मा मेरा है।

Wednesday, June 24, 2009

ओलंपिक में जीतना चाहती हूं पदक

अपने देश के लिए ओलंपिक में पदक जीतने का सपना मेरा भी है। ओलंपिक में पदक जीतने की बात मेरे दिमाग में तब आई जब में राज्य स्तरीय कराते चैंपियनशिप में दूसरे स्थान पर आई और हमें पुरस्कार देने के लिए पिछले साल छत्तीसगढ़ के खेल मंत्री बृजमोहन अग्रवाल आए थे। तब उन्होंने ही यह बताया था कि ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वालों को मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने दो करोड़ रुपए देने की घोषणा की है।

मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी ने जब बताया कि ओलंपिक में पदक जीतना आसान नहीं होता है, तो मैंने उनसे कहा कि मैं जरूर ओलंपिक में पदक जीतूंगी। तब पापा ने यह बात भी बताई कि अभी तो तुम्हारा खेल कराते ओलंपिक में शामिल ही नहीं है। यह बात जानकर मुझे निराशा हुई। तब पापा ने कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं है, जब तक तुम बड़ी होगी तब तक जरूर ओलंपिक में कराते शामिल हो जाएगा। पापा के कहने पर फिलहाल मैंने अपना ध्यान राष्ट्रीय चैंपियनशिप के पदक पर लगाया है। पापा मेरी इस इच्छा के बारे में अपने ब्लाग खेलगढ़ में उल्लेख कर चुके हैं। पापा मेरे बारे में अपने ब्लाग राजतंत्र में भी लिखते रहते हैं। मैंने सोचा कि मैं अपनी इस इच्छा के बारे में अपने ब्लाग में भी लिखूं। इसलिए मैंने यहां यह बात लिखी है। मैं तीन साल से कराते खेल रही हूं। वैसे पहले जब मैं छोटी थी तो कराते से बहुत डर लगता था। मेरे पापा मुझे तब देश की सबसे कम उम्र की ब्लेक बेल्ट खिलाड़ी बनाना चाहते थे, उनका यह सपना तो मैं पूरा नहीं कर सकी, पर अब अपना सपना जो कि मेरे पापा का भी सपना है, उसको साकार करने का काम जरूर करूंगी। मेरी बातें कैसी लगीं जरूर बताएं।

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