Sunday, December 6, 2009
भिलाई में ब्लागरों की चिंतन बैठक
एक तरफ जहां मुंबई में ब्लागरों का सम्मेलन चल रहा है, वहीं भिलाई में भी ब्लागरों की एक चिंतन बैठक आज होने वाली है। इस बैठक में हमारे पापा राजकुमार ग्वालानी हमारे ललित शर्मा अंकल के साथ भिलाई गए हैं। पापा से मैंने कहा कि पापा आज मेरी छूटी है, मुझे भी ले चले, पर पापा ने मना कर दिया कि बेटा यह बड़े ब्लागरों की चिंतन बैठक है, आप जाकर क्या करेंगी। पापा ने कहा कि अब जब कभी कोई ब्लागर सम्मेलन होगा जिसमें कोई चिंतन बैठक नहीं होगी तो आपको ले चलेंगे। क्या कोई बैठक बिना चिंतन के भी होती है। देखें कब होगा ऐसा सम्मेलन जिसमें पापा मुझे भी ले जाएंगे। नहीं तो मैं सोच रहीं हूं कि क्यों न मेरे जैसे छोटे ब्लागरों का ही एक सम्मेलन करवा लिया जाए, क्या ख्याल है मित्रों।
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10 comments:
ख्याल मौजूँ है।
ब्लॉगर तो ब्लॉगर है .. बडा क्या और छोटा क्या .. आंदोलन करो .. हमलोग साथ देंगे बेटे !!
स्वप्निल बेटे, ब्लॉगरों के सम्मेलन होते हैं तो अच्छा लगता ही है… आपके पापा को शुभकामनाएं दे दीजियेगा मेरी तरफ़ से। आपका भी सम्मेलन जल्दी ही होगा…
ब्लॉग के साइड बार में जो सांता क्लाज़ है उसकी पैण्ट या तो बदल दो या फ़िर उसे एक बेल्ट दे दो अपना स्कूल वाला… :) कहीं ऐसा न हो कि बेचारा पैंट संभालते-संभालते थक जाये और छोड़ दे, फ़िर क्रिसमस पर वह टॉफ़ी बाँटने कैसे जायेगा… है ना…
तुम्हारा हँसता-मुस्कुराता अंकल
सुरेश चिपलूनकर :)
करो सम्मेलन.. आदि को भी भेजता हूँ..
प्यार
पापा कहते हैं बिटिया बड़ा नाम करेगी...
आखिर ब्लॉगरी भी जेनेटिक होती है...
जय हिंद...
अब तो खूब सारे बच्चे हैं यहाँ..कर ही लो एक सम्मेलन.
पापा लौट आयें और ज्यादा चिंतित न दिखें तो कहना कि रिपोर्ट लगा ही दें चिंतन समिट की. :)
ऎसा सम्मेलन तो ताऊ ही करवाय़ेगा उसे पकडो
"क्या कोई बैठक बिना चिंतन के भी होती है! "
एकदम दुरूस्त सवाल किया है.
पापा को पता होना चाहिए कि कम से बहाने तो ठीक से गढ़ा करें.
प्रसन्न रहो.
आप लोगों का सम्मेलन भी ज़रूर करवायेंगे बेटा।
बिलकुल सही है बेटा ,वैसे तुम्हारे पापा ने कहा है कि जल्दे ही नन्हे ब्लॉगरो का सम्मेलन करवायेंगे ..। इस खबर से मेरी बिटिया कोपल जिसका नन्ही कोपल नाम का ब्लॉग है बहुत प्रसन्न है ।
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