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मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी ने जब बताया कि ओलंपिक में पदक जीतना आसान नहीं होता है, तो मैंने उनसे कहा कि मैं जरूर ओलंपिक में पदक जीतूंगी। तब पापा ने यह बात भी बताई कि अभी तो तुम्हारा खेल कराते ओलंपिक में शामिल ही नहीं है। यह बात जानकर मुझे निराशा हुई। तब पापा ने कहा कि निराश होने की जरूरत नहीं है, जब तक तुम बड़ी होगी तब तक जरूर ओलंपिक में कराते शामिल हो जाएगा। पापा के कहने पर फिलहाल मैंने अपना ध्यान राष्ट्रीय चैंपियनशिप के पदक पर लगा
या है। पापा मेरी इस इच्छा के बारे में अपने ब्लाग खेलगढ़ में उल्लेख कर चुके हैं। पापा मेरे बारे में अपने ब्लाग राजतंत्र में भी लिखते रहते हैं। मैंने सोचा कि मैं अपनी इस इच्छा के बारे में अपने ब्लाग में भी लिखूं। इसलिए मैंने यहां यह बात लिखी है। मैं तीन साल से कराते खेल रही हूं। वैसे पहले जब मैं छोटी थी तो कराते से बहुत डर लगता था। मेरे पापा मुझे तब देश की सबसे कम उम्र की ब्लेक बेल्ट खिलाड़ी बनाना चाहते थे, उनका यह सपना तो मैं पूरा नहीं कर सकी, पर अब अपना सपना जो कि मेरे पापा का भी सपना है, उसको साकार करने का काम जरूर करूंगी। मेरी बातें कैसी लगीं जरूर बताएं।
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3 comments:
मैं दुआ करता हु की आपका ये अपना बहुत जल्द पुरा हो
बहुत अच्छा.. जरुर जीतोगे!!!! चक दे!!!
(तुम्हाते ब्लोग का लिंक आदि के ब्लोग पर भी लगा रहा हूँ)
बहुत शुभकामनाऐं. जरुर जीत मिलेगी. मेहनत करती रहो.
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