गणेशा को घर लाने के कारण हम लोग इतने मस्त हो गए कि ब्लाग की तरफ ध्यान ही नहीं दे पाए। मेरी जिद के कारण ही पापा को मेरा ब्लाग भी लगातार अपडेट करना पड़ता है। वैसे मैं जानती हूं कि पापा के पास काम बहुत ज्यादा रहता है, उनको अपने ब्लाग राजतंत्र के साथ खेलगढ़ को भी अपडेट करना रहता है। इसी के साथ उनको प्रेस का काम भी करना होता है। रात को एक बजे सोने के बाद पापा के सुबह से अपने ब्लाग को अपडेट करने के लिए ही उठते हैं। फिर उनको 11 बजे मीटिंग मेंजाना रहता है। ऐसे में मैं उनको ज्यादा परेशान नहीं करती। आज पापा मेरे साथ जल्दी उठ गए तो उनको कहा कि पापा हमारे गणेशा के विदा होने की फोटो ब्लाग में डाल दें। हमारे आग्रह पर पापा ऐसा कर रहे हैं।
Why I want to be house captain
6 years ago
3 comments:
पुढ्च्या वर्षी लवकर या,यानी अगले बरस तू ज़ल्दी आ।
भाई हम ने तो गणेश जी की मुर्ति अपने कई सालो से अपने घर मै रखी है, मुझे यह समझ नही आया कि लोग इसे विदा क्यो करते है?
हम भी यही कहेंगे:
पुढ्च्या वर्षी लवकर या..
Post a Comment