पिछली बार मैंने रजत पदक जीता था, इस बार मैं स्वर्ण पदक जीतना चाहती थी। पर क्या करती मैं बीमार होने के कारण तैयारी भी नहीं कर पाई थी, लेकिन इतना भरोसा था कि जाती तो जरूर जीत कर आती। लेकिन न जाने का अफसोस तो है, पर इससे बड़ा अफसोस यह जानकर हुआ कि रायपुर के खिलाडिय़ों के साथ बहुत पक्षपात किया गया। राज्य कराते का जो आयोजन किया गया था कि वह प्रदेश के खेल विभाग ने किया था, पर पापा ने बताया कि सरकारी आयोजन में भी जहां पैसे लिए गए वहीं रायपुर के खिलाडिय़ों को जीतने से भी रोका गया और गलत फैसले करके उनको हरवा दिया गया। यह सब इसलिए किया गया क्योंकि अपने राज्य में कराते संघ का विवाद चल रहा है। मेरे पापा हमेशा खिलाडिय़ों के भले के लिए काम करते हैं, उन्होंने खिलाडिय़ों के साथ हुए पक्षपात की खबर अखबार में प्रकाशित की साथ ही अपने ब्लाग खेलगढ़ में भी इसको प्रकाशित किया। पापा को जब भी कोई बात गलत लगती है तो वे जरूर अखबार में खबरें बनाने के साथ राजतंत्र और खेलगढ़ में भी लिखते हैं।
Sunday, September 13, 2009
खेलने न जा पाने से ज्यादा साथी खिलाडिय़ों के साथ हुए पक्षपात का अफसोस है
राज्य कराते चैंपियनशिप में इस बार मेरे को खेलने का मौका नहीं मिला। मेरी तो बहुत जाने की इच्छा थी, पर पापा ने मना कर दिया। पापा ने अगर मना किया तो उसके पीछे कारण यह था कि मुझे लगातार काफी समय से फिवर है और मुझे टाईफाइट भी हो गया था। ऐसे में पापा ने कहा कि खेलने के लिए बहुत समय मिलेगा, पहले अपना स्वास्थ्य ठीक कर लो। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था कि मैं खेलने नहीं जा पा रही हूं।
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2 comments:
अरे बेटे तुम्हारी पीली बेल्ट है यानि अभी तुम तीसरी स्टेज पर हो, बहुत सुंदर पहले जल्दी से ठीक हो जाओ, फ़िर जीतना सब पदक.
best wishes for you..
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