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Tuesday, September 29, 2009

पहले बनाया रावण फिर जलाया

हमारे शहर में सुबह से ही मौसम खराब था और बारिश होने लगी, ऐसे में पापा ने साफ कह दिया था कि आज तो रावण दहन देखने जाना संभव नहीं है। ऐसे में मैंने सोचा कि चलो आज खुद ही रावण बनाया जाए और उसका दहन भी किया जाए। ऐसे में मैंने अपनी एक सहेली प्रियंका को बुलाया और हम दोनों ने 12 बजे से घर में रावण बनाने का काम किया। हम लोगों ने इस काम में बाद में मम्मी-पापा की भी मदद ली। उनकी मदद के साथ हमारे घर में रहने वाले एक अंकल से भी मदद ली और शाम को घर के सामने आंगन में तैयार हो गया हमारा रावण जलने के लिए।

हमने अपने मोहल्ले में आस-पास के अंकल और आंटियों के साथ बच्चों को भी एकत्रित किया और फिर रावण दहन किया गया। रावण को जलाने का काम कौन करे? यह बात सामने आई तो पापा ने कहा कि वैसे तो रावण का वध राम के हाथों हुआ था और दशहरे में रावण को जलाने का काम भी पुरुष ही करते हैं, लेकिन इस रावण को तो तुम दोनों लड़कियां ही जलाओ। जरूरी नहीं है कि रावण को पुरुष ही जलाएं। ऐसे में मैंने और प्रियंका ने रावण को जलाने का काम किया। यहां पर अपना सोनू बाबा कहा पीछे रहना वाला था, वह भी आ गया साथ में फुलझड़ी लेकर। फिर हम तीनों ने मिलकर रावण को जलाया। बाद में पापा ने भी हमारा साथ दिया क्योंकि ठीक से आग नहीं लग रही थी। रावण दहन के बाद सोनपत्ती बांटी गई। इस रावण दहन की फोटो लेने की बहुत तमन्ना थी, पर पापा के कैमरे में चिप न होने के कारण यह तमन्ना पूरी नहीं हो सकी, मोबाइल से खींची गई फोटो ठीक नहीं आई। इसलिए फोटो नहीं दे पा रहे हैं।

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यही तो विडम्बना है।

राज भाटिय़ा said...

आज के रावण को तुम ने ही तो जलाना है, बहुत सुंदर
धन्यवाद

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