Saturday, July 3, 2010
पापा ने पहली बार काटा केट
मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का एक जुलाई को जन्मदिन था। मेरे पापा कभी जन्मदिन नहीं मनाते हैं। लेकिन इस बार हमने यानी मैं, मेरी मम्मी अनिता ग्वालानी और मेरे भाई सागर ग्वालानी ने तय किया कि पापा से केट कटवाएंगे। उनको बताए बिना केट बनवा लिया और घर की सजावट करके उनसे रात में केट कटवाया। पापा को यह बहुत अच्छा लगा।
Thursday, July 1, 2010
आज मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का जन्म दिन है
आज मेरे पापा राजकुमार ग्वालानी का जन्म दिन है। मैंने जहां सुबह उठते साथ उनको बधाई दी, वहीं मैंने तो उनको दो दिन पहले ही गिफ्ट दे दिया था। क्या करती गिफ्ट लाने के बाद रहा नहीं गया तो मैंने ऐसा किया। आप भी चाहें तो मेरे पापा को जन्म दिन की बधाई दे सकते हैं।
Tuesday, June 15, 2010
सोनू भी हो गया पास
अपना सोनू बाबा भी पास हो गया है। उसको अपनी शरारत के कारण पूरक परीक्षा देनी पड़ी थी। परीक्षा के समय मस्ती करते हुए उसने झूले से कूद कर अपना हाथ तोड़ लिया था। ऐसे में उसे पूरक परीक्षा देनी पड़ी। पूरक परीक्षा में वहीं एक छोटा लड़का था, बाकी सब बड़े लड़के थे। सोनू को पूरक परीक्षा में बहुत अच्छे नंबर मिले। वह खुश है कि अब वह क्लास वन में पढ़ेगा। हम लोगों का स्कूल कल के खुलेगा। मैं अब सातवीं क्लास में पहुंची हूं।
Sunday, June 13, 2010
चवन्नी जानेमन-अठन्नी दिलरूबा
चवन्नी जानेमन-अठन्नी दिलरूबा
चवन्नी जानेमन-अठन्नी दिलरूबा
बेचारा दो का नोट बीमार पड़ गया
बीमार पड़ गया डॉक्टर आ गया
डाक्टर आ गया, सुई लगा गया
सुई थी गलत ,बेचारा मर गया
बेचारा मर गया, भूत बन गया
भूत बन गया, सबको खा गया
सबको खा गया, पंडित आ गया
पंडित आ गया, मंत्र पढ़ गया
मंत्र था क्या
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
पंडित जी पेड पर चढ़े
पेड़ था दुबला-पतला
पंडित जी नीचे गिरे
ओम जय जगदीश हरे
चवन्नी जानेमन-अठन्नी दिलरूबा
बेचारा दो का नोट बीमार पड़ गया
बीमार पड़ गया डॉक्टर आ गया
डाक्टर आ गया, सुई लगा गया
सुई थी गलत ,बेचारा मर गया
बेचारा मर गया, भूत बन गया
भूत बन गया, सबको खा गया
सबको खा गया, पंडित आ गया
पंडित आ गया, मंत्र पढ़ गया
मंत्र था क्या
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
पंडित जी पेड पर चढ़े
पेड़ था दुबला-पतला
पंडित जी नीचे गिरे
ओम जय जगदीश हरे
Tuesday, February 16, 2010
Monday, February 15, 2010
Saturday, February 13, 2010
Friday, February 12, 2010
सोनू आया नहा के...
Sunday, January 31, 2010
पापा की 1000 पोस्ट तो पिछले माह ही पूरी हो गई थी
हमारे पापा ने जब कुछ दिनों पहले राजतंत्र पर एक पोस्ट लिखी थी कि हमारी 1000 पोस्ट पूरी हो गई तभी मैंने पापा से पूछा था कि आपकी एक हजार पोस्ट कैसे पूरी हो गई, तो उन्होंने राजतंत्र और खेलगढ़ की पोस्ट को जोड़कर बताया था कि कैसे 1000 पोस्ट पूरी हुई है। ऐसे में हमने पापा से कहा कि पापा मेरे ब्लाग में भी तो आप ही लिखते हैं फिर उसमें लिखी गई पोस्ट भी तो आपकी हुई न। इन पोस्टों को अगर मिला दिया जाए तो आपकी 1000 पोस्ट तो पिछले माह ही पूरी हो गई थी। लेकिन पापा यह बात मानने को तैयार ही नहीं हैं। वे कहते हैं कि बेटा तुम्हारे ब्लाग में जो लिखा गया है वह तुम्हारे कहने पर लिखा गया है, भले उसे हमने लिखा है, लेकिन भावना तो तुम्हारी है। ऐसे में वह सब तुम्हारा है।
मैंने पापा से कहा कि चलो इस मामले को हम ब्लाग जगत की अदालत में ले चलते हैं और पूछते हैं कि मेरे ब्लाग में लिखी गई पोस्ट आपकी मानी जाएगी या नहीं।
अब ब्लाग जगत की अदालत के हमारे ब्लागर जज ही फैसला करें कि कौन ठीक कहता है मैं या मेरे पापा।
मैंने पापा से कहा कि चलो इस मामले को हम ब्लाग जगत की अदालत में ले चलते हैं और पूछते हैं कि मेरे ब्लाग में लिखी गई पोस्ट आपकी मानी जाएगी या नहीं।
अब ब्लाग जगत की अदालत के हमारे ब्लागर जज ही फैसला करें कि कौन ठीक कहता है मैं या मेरे पापा।
Friday, January 15, 2010
पापा राजतंत्र मैं खोल देता हूं
अपने सोनू बाबा यानी सागर राज ग्वालानी को पापा का ब्लाग राजतंत्र बहुत पसंद है। पापा जब भी घर आते हैं और कम्प्यूटर को चालू करते हैं तो सोनू पहुंच जाता है मॉडम को आन करने के लिए। उसे मालूम है कि मॉडम आन करने से ही नेट काम करता है। इसके बाद सोनू के मुंह से सबसे पहले यही निकलता है कि पापा राजतंत्र मैं खोल दूं। सोनू को मालूम है कि राजतंत्र कहां से खुलता है। सोनू सबसे पहले नेट खोलने के बाद फैवरिटीज में जाता है, वहां से ब्लागवाणी में जाता है और खोल देता है राजतंत्र । वैसे सोनू को राजतंत्र ही नहीं खेलगढ़ और मेरा ब्लाग भी खोलना आता है। यही नहीं सोनू बाबा नेट से गेम भी डाउनलोड कर लेता है। कल ही उसने पापा से पूछा था कि पापा एक गेम डाउनलोड कर लूं। सोनू या फिर मैं भी पापा या फिर मम्मी के इजाजत के बिना नेट से कोई भी गेम या फिर गाना डाउनलोड नहीं करते हैं।
Thursday, January 7, 2010
सोनू को मिल गया डांस का चांस
काफी दिनों से पापा ने मेरे ब्लाग के लिए कुछ नहीं लिखा है। पापा को अपने ब्लाग राजतंत्र के साथ खेलगढ़ और प्रेस से ही फुर्सत नहीं मिल पा रही है। फिर मैं भी पढ़ाई में लगी थी, ऐसे में मैंने भी पापा से जिद नहीं की कि कुछ लिख दें। लेकिन आज पापा को थोड़े समय के लिए खाली देखा और मुझे भी स्कूल नहीं जाना है तो पापा से कहा कि पापा सोनू को तो स्कूल के डांस में चांस मिल गया है, उसके नाम ही कुछ लिख दें तो पापा लिखने बैठ गए।
सोनू को इस बार स्कूल के वार्षिक कार्यक्रम में एक नहीं दो-दो गानों में चांस मिल गया है। उसके डांस का रोज लिहर्सल चल रहा है। एक-दो दिनों में उसका कार्यक्रम होने वाला है। सोनू बहुत खुश है कि उसे डांस का चांस मिला है। चांस मुझे भी मिला था, पर फिलहाल मुझे पढ़ाई करनी है, क्योंकि कोर्स ज्यादा है, ऐसे में मैंने सोचा कि चांस कहा भागे जा रहा है, अगली बार चांस मिल ही जाएगा।
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